Sunday 23 November 2014

गढ़वाल उत्तराखंड लोक संस्कृति

ऊँचे -ऊँचे चीड के पेड़ ,प्राकृतिक स्रोतों से बहता पानी .सीढीनुमा खेत और दूर तक जाती हुई पतली पगडंडियां। हाँ, कुछ ऐसा ही दृश्य हमारी आंखों के आगे छा जाता है जब हम उत्तरांचल का जिक्र करते हैं। उत्तरांचल ,एक ऐसा भूखंड है जो प्राकृतिक सौन्दर्य तथा अपने रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर दूर बसे लोगों को आज भी आकर्षित करती हैं।
गीत-संगीत हो या फिर त्योहारों की रौनक उत्तरांचल की सभी परम्पराएँ बेजोड़ हैं । इनमें से उत्तरांचल की होली, रामलीला , ऐपण ,रंगयाली पिछोड़ा, नथ, घुघूती का त्यौहार आदि विशेष प्रसिद्ध हैं। यदि खान-पान की बात की जाए तो यहाँ के विशेष फल -काफल, हिशालू , किल्मौडा, पूलम हैं तथा पहाड़ी खीरा, माल्टाऔर नीबू का भी खासा नाम है। जीविका के लिए उत्तरांचल छोड़कर जो लोग शहरों में बस गए हैं, उन्हें यही परम्पराएं अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करती हैं साथ ही साथ उत्तरांचल वासी होने का एहसास उनमें सदा जीवंत रहता है।

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